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आधुनिकता का पारा चढ़ा खत्म हो गया ग्रीटिंग कार्ड का महत्वNews

 * आधुनिकता का पारा चढ़ा खत्म हो गया ग्रीटिंग कार्ड का महत्व– इंजी सुमित तिवारी*   *संचार क्रान्ति की चाह ने ग्रीटिंग के महत्व को नकारा* *मै...



 *आधुनिकता का पारा चढ़ा खत्म हो गया ग्रीटिंग कार्ड का महत्व– इंजी सुमित तिवारी* 

 *संचार क्रान्ति की चाह ने ग्रीटिंग के महत्व को नकारा*
*मैसेज व वाटसऐप बने नए साल*
*की बधाई देने का लोकप्रिय माध्यम*

महोबा। बीते साल की कड़वी व मीठी यादों को समेटे वर्ष 2024 गुजर गया।  बीते साल को अलविदा कह नए साल के स्वागत की तैयारियां जोरों पर दिखी। लोग नए का साल का आगाज शानदार ढंग से करने के लिए  बेसब्री से इंतजार कर रहे लेकिन साल दर साल गुजरते दौर मे नए साल में अपनों को बधाईयां देने का सशक्त  माध्यम रहा ग्रीटिंग कार्ड आधुनिकता  की चकाचौंध में जाने कहां गुम हो  गया? अब लोग मैसेज व व्हाट्स एप पर नए साल की बधाई देने की,तैयारियां करते हैं महोबा जिले के जाने माने पत्रकार सुमित तिवारी मानते है कि एक जमाना था कि जब लोग नए साल पर अपनों को शुभकामना

संदेश भेजने के लिए ग्रीटिंगकार्ड की जमकर खरीददारी किया करते थे लेकिन ग्रीटिंग कार्ड तो जैसे अब गुजरे जामाने की बात लगने लगी है। आधुनिकता की आंधी मे ग्रीटिंग कार्ड ऐसा उड़ा कि लोगों ने ग्रीटिंग के महत्व को ही नजरअंदाज कर दिया है। अब नए दौर मे सोशल माध्यमों ने ग्रीटिंग कार्ड का स्थान ले लिया है। अपनों को नए साल की शुभकामनाएं देने के लिए ईमेल,फेसबुक व अन्य सोशल माध्यमों का सहारा ले रहे है। अब गर कहा जाए कि ग्रीटिंगकार्ड को संचार क्रान्ति उड़ा ले गयी है तो कोई गलती या अतिशयोक्ति नहीं होगी। बाजार से गायब हो रहे ग्रीटिंग को लेकर इस व्यापार मे लगे व्यापारी भी खासे आहत हैं।  लोग ग्रीटिंग के स्थान पर उपहार खरीद रहे है। चकाचौंध की आंधी मे ग्रीटिंग का महत्व गुम होने से ग्रीटिंग की परम्परा गुमनामी की ओर बढ़ रही है।  यही वजह है कि पोस्ट आफिस में भी ग्रीटिंग भेजने को पहले जैसी भीड़ नजर नहीं आती

जनपद महोबा बुन्देलखण्ड भगवती प्रसाद सोनी

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