ललितपुर का तथाकथित पत्रकार पहुंचा सलाखों के पीछे हालांकि यह अपने पूर्व ठग साथी प्रसन्न दुबे के चक्कर में गया जेल इसमें पत्रकारिता की बजह स...
ललितपुर का तथाकथित पत्रकार पहुंचा सलाखों के पीछे
हालांकि यह अपने पूर्व ठग साथी प्रसन्न दुबे के चक्कर में गया जेल
इसमें पत्रकारिता की बजह से जेल नहीं हुई, अपने कर्मों की बजह से जेल हुई
ललितपुर हम बात कर रहें हैं ललितपुर के पत्रकारों की जिन्होंने पत्रकारिता को कलंकित किया हैं चाहें खबरों के मामले में अपने आपको बादशाह कहने वाला ब्लैकमेलर पत्रकार हो या फिर पीत पत्रकारिता की खबरों का स्पष्ट आवाज वाला हों सबने पत्रकारिता को कलंकित करने का काम किया है। वहीं हम इस वक्त नीलेश पटेल प्यासा की बात कर रहें हैं। जिसको प्रसन्न दुबे ने वर्षों से गुमराह करके ठगी के धंधे में लाकर रख दिया है। और पत्रकारिता ने जैसे कार्य में लाकर रख दिया। लेकिन पत्रकारिता ब्लैकमेलिंग में तब्दील होती गई और सच की कलम दबती रहीं। इसका उदाहरण गुरूदीन महाविद्यालय के प्रबन्धक सौरभ यादव के द्वारा मुकदमा दर्ज कराया गया है ।
वहीं प्रसन्न दुबे जैसे ठग ने एक मासूम व्यक्ति को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया हैं और लोग चुप हैं । हालांकि प्रसन्न दुबे ने नीलेश से नौकरी लगवानें के लिए कई लड़कों से पैसें अपने फोन पर ट्रांसफर करके प्रसन्न दुबे को देना यहीं गलत हो गया । लोग कहते हैं कि नीलेश पटेल अच्छा व्यक्ति हैं तो फिर ठगी जैसे कार्यों में लाखों का ट्रांजेक्शन इसने आईडी से कैसे हुआ। जो लग्जरी लाइफ जी रहें थे वह कहां से आयी आखिर गरीबों को ठगने का नतीजा सामने हैं । और इनकी खबरें भी केवल ब्लैकमेलिंग की ही छपती थी । प्रसन्न दुबे के बाद ऐसे ठग को अब तक कौन संरक्षण दें रहा था और कौन-कौन ने इस ठगी के पैसों की कमीशन खायी यह जांच का बिषय हैं ।
रिपोर्ट
लखन तिवारी
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