विनोबा भावे विश्वविद्यालय मनाया 33वीं वर्षगांठ News 24 First Express Hazaribagh/Jharkhand विनोबा भावे विश्वविद्यालय जब अपनी स्थापना की 3...
विनोबा भावे विश्वविद्यालय मनाया 33वीं वर्षगांठ
विनोबा भावे विश्वविद्यालय जब अपनी स्थापना की 33वीं वर्षगांठ पर विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलपति-सह-उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडलीय आयुक्त सुमन कैथरीन किस्पोट्टा का संबोधन
हजारीबाग: अपने स्थापना कल से अब तक हमारा विश्वविद्यालय अनेक उपलब्धियां को हासिल करने में कामयाब हुआ है लेकिन अभी भी बहुत सारे काम अधूरे हैं और रास्ता काफी लंबा है जैसे हमें तय करना है। उपरोक्त बातें विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलपति-सह-उत्तरी छोटानागपुर आयुक्त सुमन कैथरीन किस्पोट्टा ने विनोबा भावे विश्वविद्यालय की 33वीं स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर कहीं। इस अवसर पर उन्होंने इससे जुड़े सभी अधिकारियों, सेवानिवृत्त शिक्षकों-कर्मचारियों, सेवारत शिक्षकों-कर्मचारियों, विद्यार्थियों, अभिभावकों तथा नागरिक समाज को हार्दिक बधाई दिया।
उन्होंने कहा 17 सितंबर को हमारे विश्वविद्यालय के इतिहास में एक ऐसा अवसर है जब यह आवश्यक होता है कि हम अपनी उपलब्धियों पर गर्व करें और भविष्य की योजनाओं पर भी गौर करें। कुलपति के प्रभार में रहते हुए मुझे लगभग सवा साल हो गए हैं और स्थापना दिवस समारोह के आयोजन में शामिल होने का दूसरा अवसर मेरे हिस्से में आया है। जिन महान भुदानी संत आचार्य विनोबा भाभी के नाम पर हमारा विश्वविद्यालय स्थापित हुआ है और ज्ञान दान में अहनिर्श योग दे रहा है, उसमें उन सरीखे अन्य महापुरुषों का भी योग्य अन्यतम है। स्थापना के समय नारी शक्ति का मातृत्व संपन्न पारस स्पर्श विश्वविद्यालय को प्राप्त हुआ उसने इसे ऊंचाइयों के और बढ़ाने की और हमेशा प्रेरणा दी है डॉक्टर विनोदिनी सर्वे सहित सभी कुलपतियों के विश्वविद्यालय के गरिमा को बढ़ाने में सराहनीय भूमिका रही है मैं उन सभी के योगदान के प्रति श्रद्धावनत हूं।
अपने स्थापना काल से ही विनोबा भावे विश्वविद्यालय झारखंड राज्य के सुदूर इलाकों में भी उच्च एवं तकनीकी शिक्षा के प्रसार में जुटा रहा है। मानविकी, सामाज विज्ञान, विज्ञान एवं वाणिज्य एवं प्रबंधन अभियांत्रिकी, चिकित्सा, विधि, शिक्षाशास्त्र, बायोटेक्नोलॉजी कंप्यूटर एप्लीकेशन सरीखे विषयों के साथ-साथ आयुर्वेदिक, होम्योपैथी आदि के अध्ययन-अध्यापन और अनुसंधान के विकास में हमारे विश्वविद्यालय ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। आज की दुनिया के लिहाज से प्रासंगिक विषयों को अध्ययन-अध्यापन का अंग बनाने में हम लगे हुए हैं। विद्यार्थियों को नए और रोजगारपरक विषयों से जोड़ने के लिए कई नए पाठ्यक्रमों को शुरू करने की योजना को साकार करने में हम लगे हुए हैं।
विनोबा भावे विश्वविद्यालय राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद से दूसरे चक्र का मूल्यांकन एवं प्रत्यायन प्राप्त करने वाला झारखंड का पहला विश्वविद्यालय बनने में सफल हुआ है तो इसमें हमारे विश्वविद्यालय के सभी लोगों का परिश्रम निहित था। पी.एम. उषा से लगभग 100 करोड़ की राशि प्राप्त कर मल्टी-डिसीप्लिनरी एजुकेशन एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी का दर्जा प्राप्त करने की उपलब्धि भी हमारे खाते में दर्ज हुई है, तो इसमें विश्वविद्यालय परिवार के सभी सदस्यों की भूमिका प्रशसनीय रही है। हम विश्वविद्यालय परिसर के विस्तार की दिशा में भी प्रत्यनशील है और हाल ही में 1.69 एकड़ भूमि जिला प्रशासन से प्राप्त करने में सफल रहे हैं। रोजगारपरक पाठ्यक्रम के एक साथ संचालन के लिए समर्पित भवन के निर्माण का कार्य हम उसे परिसर में करवाने की मंशा रखते हैं इसी वर्ष केंद्र फॉर ट्राईबल स्टोरी के भवन का उद्घाटन भी माननीय कुलाधिपति के कर कमलों से संपन्न हुआ है। हम शीघ्र ही वहां अध्ययन अध्यापन और अनुसंधान का कार्य शुरू करा सकने में सफल होंगे। महिला सशक्तिकरण की दिशा में कारगर कदम उठाते हुए विश्वविद्यालय के आहार कैंटीन की जिम्मेदारी महिला स्वयं सहायता समूह को दी गई है। सभी कर्मचारियों तथा सेवानिवृत कर्मियों को सातवें वेतनमान के अनुरूप पेंशन संशोधन, वेतन संशोधन एवं एरिया का भुगतान किया जा चुका है।
हम इस बात को बखूबी समझते हैं कि शोध की नई संभावनाओं की तलाश हमें करनी होगी, क्यूंकि वैश्विक मानकों की दृष्टि से हम अभी बहुत पीछे हैं। हमारा विश्वास है कि विद्यार्थियों, शोधार्थीयों एवं शिक्षकों के परिश्रम व लगन से उन ऊंचाइयों तक पहुंचने में सफल होंगे। हमने अब तक जो कुछ भी पाया है वह कम नहीं है लेकिन जो हम पाना चाहते हैं उसके लिए ज्यादा कठिन परिश्रम करने की जरूरत बनी हुई है।
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