आज नहाय-खाय, 26 को खरना, 27-28 को अर्घ्य, जानिए छठ पूजा की सही तिथि छठ व्रती 36 घंटे का रखती हैं निर्जला उपवास, घाटों में पूजा की तैयारी श...
आज नहाय-खाय, 26 को खरना, 27-28 को अर्घ्य, जानिए छठ पूजा की सही तिथि
छठ व्रती 36 घंटे का रखती हैं निर्जला उपवास, घाटों में पूजा की तैयारी शुरू:: मां अष्टभुजी ज्योतिषाचार्य उमेश पाठक।
Keredari Hazaribagh Jharkhand
हजारीबाग जिले भर में आस्था के महापर्व छठ पूजा का शुभारंभ नहाए खाए के साथ शुरू हो गया। इस साल 25 अक्टूबर 2025 शनिवार से नहाय-खाय के साथ चार दिवसीय अनुष्ठान के साथ कार्तिक मास का छठ पर्व शुरू हो रहा है। कार्तिक शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि को छठ व्रती नियम-धर्म से सात्विक भोजन अरवा चावल, चने की दाल, कद्दू की सब्जी सेंधा नमक के प्रयोग से बनाकर प्रसाद स्वरूप ग्रहण करते हैं। छठी मइया को ध्यान कर स्वच्छ तन-मन से छठ पूजा का संकल्प नहाय-खाय पर ही लेने का विधान है। इस दिन छठी मइया और आदित्य देव, दीनानाथ के लिए छठ गीत गाकर उनका आह्वान किए जाने का विधान है।
मां अष्टभुजी ज्योतिषाचार्य विद्वान उमेश पाठक। किया कहते हैं जानें पूरी खबर में
केरेडारी प्रखंड क्षेत्र के मां अष्टभुजी मंदिर कंडाबेर के ज्योतिषाचार्य विद्वान उमेश पाठक ने छठ महापर्व को लेकर तिथि के अनुसार बताया कि 25 अक्टूबर, शनिवार नहाय-खाय, 26 अक्टूबर, रविवार खरना, 27 अक्टूबर सोमवार अस्ताचलगामी भगवान भाष्कर को संध्याकालीन अर्घ्य, वही 28 अक्टूबर मंगलवार को उदीयमान सूर्य को प्रात:कालीन अर्घ्य अर्पण। आगे विस्तार करते हुए बताते है कि 26 अक्टूबर, रविवार को खरना है। इस दिन छठ व्रती पूरी निष्ठा से छठी मइया को खीर का प्रसाद बनाकर भोग लगाती हैं। यह प्रसाद घर-परिवार और पास-पड़ोस में जनमानस को ग्रहण कराने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि खरना का प्रसाद ग्रहण करने से जीवन के सारे दू:ख दूर होते हैं। छठी मइया व्रती की सारी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। वही 27 अक्टूबर, सोमवार को अस्ताचलगामी भगवान भाष्कर को संध्याकालीन अर्घ्य अर्पण किया जाएगा। इस दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर छठ व्रती अपने परिवार की सुख-समृद्धि और संतति वृद्धि की कामना आदित्य देव से करते हैं। ऐसी मान्यता है कि ढलते सूरज को जल चढ़ाने से भगवान दिनकर छठ व्रती को भर-भरकर आशीष देते हैं। तथा 28 अक्टूबर, मंगलवार को उदीयमान सूर्य को प्रात:कालीन अर्घ्य दिया जाना है। इस दिन दीनानाथ के उगते स्वरूप का दर्शन कर छठ व्रती खुशहाली की कामना करती हैं। परिवार के लोग भी छठ व्रती को सामने से दूध-जल का अर्घ्य अपर्ण कर अपनी निष्ठा प्रकट करते हैं। छठी मइया से मंगल कामनाएं की जाती हैं। छठ पूजा का प्रसाद छठ घाट पर ही ग्रहण करने का विधान है। अंतिम चरण में छठ व्रती पारण कर चार दिवसीय छठ पर्व का अनुष्ठान समाप्त करती हैं। छठ पर्व से करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी है। कार्तिक मास में भगवान सूर्य की पूजा की परंपरा है। शुक्ल पक्ष में षष्ठी तिथि को इस पूजा का विशेष विधान है। बता दें इस पूजा की शुरुआत मुख्य रूप से बिहार और झारखंड उत्तर प्रदेश सहित अब देश-विदेश तक फैल चुकी है। महाराज कर्ण सूर्य देव के उपासक थे, इसलिए परंपरा के अनुसार इस इलाके पर सूर्य पूजा का विशेष प्रभाव दिखता है। बिहार, उत्तर प्रदेश में छठ पूजा का आयोजन विशेष रूप से होता है। अब झारखंड में भी छठ पूजा का आयोजन बढ़ चढ़ कर हो रहा है। राजधानी एवं जिले भर में सभी छोटे बड़े डैम के साथ दर्जनों तलाब पर छठ पूजा को लेकर तैयारी शुरू हो गई है। छठ घाटों पर विशेष रुप से सफाई अभियान चलाया जा रहा है।
ब्यूरो रिपोर्ट हजारीबाग
Ashok Banty Raj - 9835533100







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