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गाजीपुर फर्जी अस्पताल में मरीज को बनाया गया बंधक ।

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 मरीज को बंधक बनाकर उसके परिजनों से पैसा वसूली का मामला सिर्फ बड़े शहरों में ही नहीं बल्कि छोटे शहरों के झोलाछाप डॉक्टर भी करते हैं और कुछ ऐसा ही नजारा मोहम्मदाबाद तहसील में देखने को मिला जब मरीज के परिजन एसडीएम से शिकायत की है एसडीएम ने खुद मौके पर पहुंचकर मामले को सही पाया और तत्काल मरीज को सरकारी अस्पताल में शिफ्ट कराते हुए फर्जी अस्पताल को सील करने की कार्रवाई किया।उप जिलाधिकारी हर्षिता तिवारी के सामने रोती गिड़गिड़ाती और हाथ जोड़े महिला कोई फरियादी नहीं है बल्कि एक फर्जी अस्पताल की संचालिका है। जो क्षेत्र की आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से लाई गई मरीजों का मोटी रकम लेकर इलाज करती हैं और इलाज में पैसा कम हो जाने पर वो लोग मरीजों को बंधक बनाने तक का काम करते हैं।




ही शिकायत एसडीएम मोहमदाबाद से नोनहरा गांव के युवक बृजेश  ने शिकायत की थी कि तिवारीपुर में  मुख्य सड़क के किनारे ईंट भट्ठा के आगे नई बस्ती में एक प्राइवेट हास्पिटल में उसकी पत्नी प्रियंका भर्ती है। उसका आपरेशन कर बच्चा पैदा हुआ जो दो दिन पूर्व प्रसव के दौरान बच्चा मर गया जिसके लिए 20 हजार रुपये दे चुका है। अब उसकी पत्नी को डिस्चार्ज के लिए 20 हजार व टांका कटवाने आने पर 10 हजार और देने की मांग की जा रही है और जब तक पैसा नहीं दिया जाएगा तब तक उसकी पत्नी को अस्पताल से नहीं छोड़े जाने की बात की जा रही है। 


इस शिकायत को गंभीरता से लेते हुए उपजिलाधिकारी मौके पर पहुंची तो पता चला कि जिस भवन में निर्माण कार्य अभी चल रहा था, उसी में अवैध हास्पिटल चल रहा है। मौके पर मौजूद महिला कर्मी से जब उन्होंने कागजात मांगा तो वह कुछ नहीं दिखा सकी। पता चला कि तिवारीपुर मोड़ पर बीते माह जिस कृष्णा हास्पिटल को उपजिलाधिकारी ने अवैध संचालन के चलते बंद कराया था, उसी की संचालिका ने अब इस बस्ती में अपना अवैध हास्पिटल का संचालन शुरू कर दी है। उक्त हास्पिटल पूरी तरह गंदगी से पट पड़ा था। जांच के दौरान उक्त हास्पिटल में प्रियंका पत्नी बृजेश कुमार जिसका आपरेशन किया गया था व संजू प्रजापति को प्रसव के लिए भर्ती किया गया था। प जिलाधिकारी ने एंबुलेंस मंगाकर दोनों महिलाओं को सीएचसी भेजवाया गया। संजू प्रजापति के आपरेशन होने से संक्रमण का खतरा देख जिला चिकित्सालय भेज दिया गया। प्रियंका के स्वजनों ने बताया कि वह आशा कार्यकर्ता के साथ यहां आए थे बताया कि राजकीय महिला चिकित्सालय में जब प्रसव के लिए पहुंचे तो वहां उसे आशा के साथ यहां भेज दिया गया। उपजिलाधिकारी ने उक्त हास्पिटल के मुख्य गेट पर ताला बंद कर उसे सीज करने की कार्रवाई की गयी उपजिलाधिकारी हर्षिता तिवारी ने कहा कि वह सीएचसी अधीक्षक को निर्देशित किया है कि इलाके में कहीं भी अवैध हास्पिटल का संचालन हो रहा है तो उसे तुरंत बंद कराए। आपको बताते चलें कि इस तरह के अस्पतालों का संचालन स्वास्थ्य विभाग की मेहरबानी से और मुद्रा मोचन के बल पर चलता है जिसका खामियाजा आम आदमी भुगतता है जिन्हें आर्थिक नुकसान के साथ ही साथ कभी इसकी कीमत जान देकर भी चुकानी पड़ती है इस तरह के मामले जनपद में कई हो चुके हैं लेकिन स्वास्थ्य महकमा है कि कुछ भी सुनने देखने और जानने की जहमत नहीं उठाता बल्कि इस तरह के मामला होने पर सिर्फ कोरम पूरा कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेता है।

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