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संसद में गूंजी बुजुर्गों की आवाज, हजारीबाग सांसद मनीष जायसवाल ने वृद्धा आश्रमों की बढ़ती संख्या पर माँगा सरकार से जवाब हजारीबाग/झारखंड   संस...

संसद में गूंजी बुजुर्गों की आवाज, हजारीबाग सांसद मनीष जायसवाल ने वृद्धा आश्रमों की बढ़ती संख्या पर माँगा सरकार से जवाब


हजारीबाग/झारखंड 


संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान हजारीबाग लोकसभा क्षेत्र के सांसद मनीष जायसवाल ने मंगलवार को समाज के एक अत्यंत ज्वलंतशील और भावनात्मक मुद्दे को उठाया। उन्होंने सदन में उन बुजुर्गों के हित में आवाज़ उठाई, जिन्हें वृद्धा आश्रमों में अपना जीवन यापन करना पड़ता है।

सांसद मनीष जायसवाल ने सदन में अपनी बात रखते हुए कहा कि बुजुर्ग राष्ट्र के अनुभव और संस्कार हैं। वर्तमान में देश में लगभग 10 करोड़ बुजुर्ग हैं और यह अनुमान है कि 2050 तक इनकी संख्या बढ़कर 30 करोड़ हो जाएगी। वर्तमान में हम एक युवा राष्ट्र हैं लेकिन हमें कभी न कभी बुजुर्ग राष्ट्र भी बनना होगा।

सांसद मनीष जायसवाल ने सरकार से सीधा सवाल किया कि स्वास्थ्य, पारिवारिक देखभाल को सुदृढ़ करने और रिश्तों में खटास के कारण वृद्धा आश्रम में छोड़ जाने की प्रवृत्ति को कम करने के लिए सरकार क्या पहल कर रही है?

इसके जवाब में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री बी.एल. वर्मा ने कहा कि बुजुर्ग हम सबका गौरव हैं और राष्ट्र की धरोहर हैं। पीएम मोदी ने 2014 में पीएम बनते ही 'सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास और देश के विकास में सभी का सामूहिक प्रयास' की बात कही है। मंत्री ने बताया कि 2011 की जनगणना में लगभग 10 करोड़ 38 लाख बुजुर्ग थे और यह संख्या लगातार बढ़ रही है। मंत्री ने स्वीकार किया कि आज छोटे परिवार की परंपरा में बढ़ोत्तरी, रोज़गार के कारणों से परिवारों का दूर शहरों में चले जाना और अन्य कारणों से सीनियर सिटीजन का परिवार से अलग होना एक बड़ी चुनौती है। ऐसे में सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों पर केंद्रीय नीतियां और कार्यक्रम के ज़रिए बार-बार भारतीय पारिवारिक मूल्यों और परंपराओं पर ज़ोर दिया है।

मंत्री बी. एल. वर्मा जब अपने जवाब को लंबा खींच रहे थे, तो लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला ने उन्हें टोकते हुए कहा कि आप भाषण क्यों देने लगे, संसद सदस्य मनीष जायसवाल के प्रश्न का जवाब दे दीजिए।

इसके बाद मंत्री बी. एल. वर्मा ने संक्षिप्त होते हुए बताया कि सरकार ने शिक्षा मंत्रालय के सहयोग से भावी पीढ़ियों से संवाद करके उन्हें प्रोत्साहित करने का कार्य किया है। इसके तहत, दादा-दादी और शिक्षकों के साथ एक ग्रैंड पेरेंट्स मीटिंग आयोजित की जाती है, ताकि आपसी प्रेम का भाव जागृत हो और आने वाले समय में बुजुर्गों के प्रति विशेष सम्मान का भाव बढ़े।

सांसद मनीष जायसवाल ने मंत्री के जवाब से संतुष्ट न होते हुए पुनः कहा कि किसी भी राष्ट्र की प्रगति इस बात से मापी जाती है कि वह अपने बुजुर्गों को कितना सम्मान और सुरक्षा देता है।

उन्होंने सीधा सवाल दोहराते हुए कहा कि एकीकृत वरिष्ठ नागरिक कार्यक्रम के अंतर्गत देश में वर्तमान में कितने वरिष्ठ नागरिक गृह संचालित हैं और बिहार एवं झारखंड में इसकी संख्या कितनी है? बढ़ती संख्या को देखते हुए इसे बढ़ाने के लिए सरकार क्या कर रही है?

मंत्री बी. एल. वर्मा ने आंकड़ों के साथ जवाब देते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर इसका डाटा बनाया जा रहा है और देश भर में वर्तमान में 706 वरिष्ठ नागरिक गृह चल रहे हैं। जिसमें वरिष्ठ नागरिक गृहों की संख्या बिहार में  8 और झारखंड 15 है।  मंत्री ने अंत में बताया कि नए नागरिक गृहों के विस्तार के संबंध में राज्यों की डिमांड पर निर्णय लिया जाता है।

सांसद मनीष जायसवाल ने इस गंभीर सामाजिक विषय को संसद के पटल पर लाकर, समाज और सरकार का ध्यान भविष्य की इस बड़ी चुनौती की ओर केंद्रित किया है। यह एक ऐसा सामाजिक विषय है जिसपर अमूमन जनप्रतिनिधियों का ध्यान कम ही आकृष्ट होता है ।


ब्यूरो रिपोर्ट हजारीबाग 

Ashok Banty Raj - 9835533100

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