चुरचू प्रखंड में मनरेगा कार्यों में भ्रष्टाचार की नई इबारत चुरचू हजारीबाग बालदेव शर्मा हजारीबाग जिले के चुरचू प्रखंड में मनरेगा योजनाओं के त...
चुरचू प्रखंड में मनरेगा कार्यों में भ्रष्टाचार की नई इबारत
चुरचू हजारीबाग
बालदेव शर्मा
हजारीबाग जिले के चुरचू प्रखंड में मनरेगा योजनाओं के तहत किए जा रहे कार्यों में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी और भ्रष्टाचार सामने आ रहा है। ग्रामीणों और स्थानीय सूत्रों के अनुसार आठों पंचायतों अंगो, चुरचू, बहेरा, चरही, चनारो, इंद्रा, जरवा और हेंदेगाढ़ा में मनरेगा की नियमावली की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
जेसीबी से खुदाई, कागज पर मजदूरी
योजना का उद्देश्य ग्रामीण मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराना है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। अधिकांश कार्यों में मजदूरों की बजाय जेसीबी मशीनों का इस्तेमाल हो रहा है। कुएं, डोभा और तालाबों की खुदाई कागज पर मजदूरों के नाम से दिखाई जाती है, जबकि वास्तविकता में मशीनें काम करती हैं। लारा गांव का उदाहरण सामने है, जहां मनरेगा से बना कुआं हाल की बारिश में ध्वस्त हो गया। ग्रामीणों का आरोप है कि इसे मशीन से खोदा गया था, जिसके कारण निर्माण की गुणवत्ता नहीं रही और थोड़ी ही बारिश में ढह गया। इसी तरह कोवाबरी डोभा पहले से मौजूद था। फिर भी उसी पर नया काम दिखा दिया गया। बालीडीह गांव में भी डोभा निर्माण में धांधली की बात सामने आई है। बहेरा पंचायत में खेत में बने डोभे को मशीन से दोबारा बना कर राशि की निकासी कर दी गई।
अफसरों की मिलीभगत से निकासी
ग्रामीण बताते हैं कि बिना प्रखंड स्तर के अधिकारियों की मिलीभगत के इस तरह का भ्रष्टाचार संभव नहीं है। नियमों को ताक पर रखकर फर्जी मस्टर रोल बनाए जा रहे हैं और मजदूरी की राशि की निकासी की जा रही है। लाखों रुपये का बंदरबांट अधिकारियों और ठेकेदारनुमा वेंडरों के बीच हो रहा है।
पत्रकारों की संलिप्तता हैरान करने वाली
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस पूरे खेल में कुछ स्थानीय पत्रकारों का नाम भी सामने आ रहा है। जानकारी के अनुसार, कुछ ने अपनी ‘पहुंच’ और दबाव का इस्तेमाल कर खुद को वेंडर के रूप में पंजीकृत करा लिया है। वहीं, कुछ फर्जी पत्रकार वेंडरों को डरा-धमका कर उनके नाम पर काम करवाते हैं और पैसा हड़प लेते हैं। नाम न छापने की शर्त पर कुछ वेंडरों ने बताया कि उन्हें न चाहते हुए भी अपने कागजों पर इन तथाकथित पत्रकारों को काम देना पड़ता है। उनका कहना है कि यदि वे विरोध करते हैं तो उन्हें योजनाओं से बाहर करने या फर्जी शिकायत में फंसाने की धमकी दी जाती है।
इस पूरे मामले में चुरचू प्रखंड के बीडीओ ने कहा कि ग्रामीणों और मीडिया से मिली शिकायतों पर संज्ञान लिया गया है और जांच कराई जाएगी। उन्होंने भरोसा दिलाया कि यदि किसी स्तर पर गड़बड़ी पाई जाती है तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। अब देखना यह अहम होगा कि जांच कितनी निष्पक्ष और ठोस होती है। क्योंकि ग्रामीणों के अनुसार, भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी हैं और इसमें बड़े स्तर पर मिलीभगत शामिल है। यदि प्रशासन वास्तव में इच्छाशक्ति दिखाए, तो मनरेगा में हुए इस ‘खेल’ का सच सामने आ सकता है और दोषियों को सजा मिल सकती है।
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