हिंदी विभाग में आयोजित हुआ भारतीय ज्ञान परंपरा पर संगोष्ठी। गुरु-शिष्य जैसी महान परंपरा भारत ने विश्व को दिया: डॉ संजय पासवान। विद्यार्थी ...
हिंदी विभाग में आयोजित हुआ भारतीय ज्ञान परंपरा पर संगोष्ठी।
गुरु-शिष्य जैसी महान परंपरा भारत ने विश्व को दिया: डॉ संजय पासवान।
विद्यार्थी स्वयं अपने गुरु को खोजें: कुलपति प्रो चंद्र भूषण शर्मा।
हजारीबाग झारखंड
विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग के हिंदी विभाग के तत्वाधान में *भारतीय ज्ञान परंपरा में गुरु की महत्ता* विषयक संगोष्ठी का आयोजन शुक्रवार को रवींद्रनाथ टैगोर कला भवन के तुलसीदास सभागार में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्ण कुमार गुप्ता ने किया।
कुलपति प्रो चंद्र भूषण शर्मा ने कहा कि पढ़ाई को कौशल से जोड़ने की जरूरत है। उन्होंने पारंपरिक एवं आधुनिक शिक्षा के बीच सामंजस्य स्थापित करने की वकालत की। उन्होंने विद्यार्थियों से स्वयं अपने गुरु को खोजने की बात कही।
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मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए पूर्व केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ संजय पासवान ने भारतीय परंपरा पर जोर देते हुए कहा कि यह देश खोजी का है रोजी का नहीं। हमें अपने जड़ों से जुड़े रहने की आवश्यकता है। अपने मूल से ही तूल मिलता है। हमने गुरु-शिष्य जैसी महान परंपरा विश्व को दिखाया है। अध्यक्षीय संभाषण में डॉ के.के. गुप्ता ने चाणक्य-चंद्रगुप्त, रामकृष्ण परमहंस- स्वामी विवेकानंद व अन्य गुरु शिष्य जोड़ियां का उदाहरण देते हुए गुरु परंपरा के महत्व को रेखांकित किया।
विषय प्रवेश करते हुए डॉ. केदार सिंह ने कहा कि राज परंपरा, शिष्य परंपरा, गुरु परंपरा इन तीनों का परस्पर सामंजस्य ही हमें और हमारे राष्ट्र को विश्व का पद प्रदर्शन बना सकता है।डॉ. सुबोध कुमार सिंह 'शिवगीत' ने अतिथियों का स्वागत किया। विभागीय प्राध्यापक डॉ. राजू राम ने धन्यवाद ज्ञापन तथा डॉ. सुनील कुमार दुबे के द्वारा मंच संचालन किया गया।
मौके पर संध्या एवं प्रिया ने स्वागत गीत तथा प्रिया ने कविता पाठ प्रस्तुत किया। इस अवसर पर भिन्न विभाग के विभागाध्यक्ष, शिक्षक, शोधार्थी एवं विद्यार्थी अच्छी संख्या में उपस्थित हुए। राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।
ब्यूरो रिपोर्ट हजारीबाग झारखंड
Ashok Banty Raj - 98355 33100
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