प्रयागराज मे बने पक्के दशाश्वमेध घाट की सुन्दरता बनी रहे इसके लिये फाफामऊ से आ रही गंगा को नागबाषुकी के किनारे से गंगा के एक जगह स्थीर न र...


प्रयागराज मे बने पक्के दशाश्वमेध घाट की सुन्दरता बनी रहे इसके लिये फाफामऊ से आ रही गंगा को नागबाषुकी के किनारे से गंगा के एक जगह स्थीर न रहने पर विगत 50 वर्षो से बालू एक जगह एकत्र होने के कारण गंगा के सतह से बालू की उचाई के कारण जलस्तर पंजे या घुटने के निचे तक रहता ईसके लिये उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री जी को एक सुझाव के रूप मे निवेदन करना चाहता हु नागबाषुकी मन्दिर से सास्त्रीपुल जहा से गंगा नदी मुड़कर जमुना जी मे मिलती है वही सास्त्री पुल तक जे सी बी या अन्य मशिन द्बारा दशाश्वमेध से होते हुए बालू निकाल कर थोड़ा-बहुत गहरा कर गंगा को घाट की तरफ मोडा जा सकता है जो एक अलग सुन्दर किनारे बहती हुई गंगा का और मन्दिरो का दृश्य दारागंज एक अलग सुशोभित नजर आयेगा और पर्यटक का केन्द्र बनेगा और बना हुआ पक्का दशाश्वमेध घाट आकर्षण का केन्द्र होगा
बस सरकार ने महाकुम्भ को पुरे विश्व मे जो अलग पहचान प्रयागराज की बनाई और पर्यटक को बनारस, हरिद्वार, खजुराहो आगरा तक ही जो सिमित रहता था अगर राष्ट्रीय नदी गंगा दारागंज नागबाषकी और जहा ब्रम्हा जी ने दस अश्वमेघ यग्य अनुष्ठान पुजन कर दशाश्वमेध मन्दिर का पुराणो मे जिक्र है दशाश्वमेध मन्दिर, संकटमोचन, तक एक भब्य दिब्य सुन्दर दिखाई पढेगा जो पर्यटक को प्रयागराज आने के लिये 12 महिना मजबूर होना पढेगा बस कुम्भ मे जो सरकार का आय हुआ उसका कुछ हिस्सा गंगा को मोड़कर किनारे लाने के लिये थोड़ा-बहुत खर्च होगा जिसका देखभाल पुरा मेला प्राधिकरण को जिम्मेदारी दि जाये सरकार ईस सुझाव के उपर और 40 वर्षो से गंगा स्वच्छता के प्रति लगे रहे अंतर्राष्ट्रीय मूंछ नृत्य कलाकार गिनीज बुक ऑफ वर्ड रिकॉर्ड धारी राजेंद्र कुमार तिवारी दुकानजी के विचारो पर गहन विचार कर कार्य को अपने ऐजेडा मे सामिल कर प्रयागराज को और शुसोभित करने मे विचार करे जिससे पक्के घाट को गन्दगी प्रदूषण से बचाया जा सकता है
संवाददाता
विजय कुमार मिश्रा
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