कोल खनन परियोजनाओं के विरोध में बादम बीएमसी मैदान में हुई सभा ग्रामीणों ने जमीन नहीं देने का लिया निर् बड़कागांव संवाददाता राज किशोर कुमा...
कोल खनन परियोजनाओं के विरोध में बादम बीएमसी मैदान में हुई सभा
ग्रामीणों ने जमीन नहीं देने का लिया निर्
बड़कागांव
संवाददाता राज किशोर कुमार कि रिपोर्ट
बड़कागांव: प्रखंड के ग्राम बादम अंतर्गत बीएमसी मैदान के पास कर्णपुरा बचाओ संघर्ष समिति के तत्वाधान में कोल खनन परियोजनाओं के विरोध में एक बैठक रखी गई। बैठक में बादम, गोंदलपुरा, नापो, हरली, राउतपारा, गाली, बलोदर, हाहे, चंदौल बाबूपारा, अंबाजित सहित अन्य गांव के लोग उपस्थित हुए। इस दौरान, जेएसडब्ल्यू, एनटीपीसी, अदानी, रोहने, रोंगटा सहित अन्य प्रतावित कोल खनन परियोजना का विरोध ग्रामीणों ने किया। ग्रामीणों और वक्ताओं ने कहा के ये लड़ाई जल, जंगल और जमीन को बचाने की लड़ाई है। ये नारा अब खतम हो गया के जान देंगे जमीन नहीं देंगे अब हमारा नारा है के ना हम लोग जान देंगे न ही जमीन देंगे।
इस क्षेत्र को पूरा उजाड़ने के लिए अदानी कोल खनन परियोजना, जेएसडब्ल्यू कोल खनन परियोजना, बादम कोल खनन परियोजना के इलावा, बादम नॉर्थ कोल खनन परियोजना, बादम ईस्ट कोल खनन परियोजना, बादम डिप कोल खनन परियोजना, रोहने कोल खनन परियोजना भी प्रस्तावित है जिसके तहत, अंबाजीत, महुगाई कला, शुकुल खपिया, बादम, हरली, मर्दू सोती, नापो, बरवानिया, इंदिरा, पसेरीया सहित अन्य कई गांव को पूरी तरह से उजाड़ने का काम किया जाएगा। इस लिए अब सभी को एक जुट हो कर कंपनी के खिलाफ लड़ना होगा। सरकार को एक एकड़ भूमि के लिए लगभग 45 लाख रुपए का भुगतान कंपनी के द्वारा किया गया है। 2013 भूमि अधिग्रहण कानून के तहत ग्रामीण के एक एकड़ भूमि के लिए सरकारी भुगतान से चार गुना अधिक भुगतान ग्रामीण को करना है। इस तरह से एक एकड़ भूमि के लिए लगभग एक करोड़ अस्सी लाख रुपए का भुगतान किया जाना चाहिए लेकिन कंपनी के द्वारा एक एकड़ भूमि के लिए सिर्फ चौबीस लाख का मुआवजा तय किया गया है। यह सरासर जनता के संवैधानिक अधिकारों का हनन है। कंपनियों के इसी मनमानी को रोकने के लिए एकजुट हो कर सड़क से ले कर न्यायालय तक लड़ना होगा। संविधान के आर्टिकल 39 का हवाला देते हुए बताया गया के देश के भौतिक संसाधनों का मालिक जनता है। ग्रामीणों ने इस दौरान एक राय में किसी भी कंपनी को जमीन नहीं देने का निर्णय लिया।
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