बस्ती रिपोर्ट दिलीप कुमार पांडे यज्ञ से वातावरण शुद्ध होता है पर्यावरण से मानव जीवन शुद्ध होता है आर्य समाज नई बाजार बस्ती द...
बस्ती
रिपोर्ट दिलीप कुमार पांडे
यज्ञ से वातावरण शुद्ध होता है पर्यावरण से मानव जीवन शुद्ध होता है
आर्य समाज नई बाजार बस्ती द्वारा आर्य युवा रचित आर्य की पुण्यतिथि के अवसर पर राजा बाजार बस्ती में वैदिक यज्ञ का आयोजन किया गया जिसमें आचार्य सुरेश जोशी ने उपस्थित लोगों को दुख, सुख, जीवन और मृत्यु के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि हमारे ऋषियों ने त्रैतवाद को ही माना है जिसमें ईश्वर जीव और प्रकृति तीन अनादि सत्ताएं हैं। जिसमें प्रकृति जड़ है शेष जीव और ईश्वर चेतन हैं। ईश्वर प्रकृति के सहारे जीव के लिए भोग उपलब्ध कराता है और जीव प्रकृति के सहारे ईश्वर को साध्य मानकर मोक्ष तक का मार्ग तय करता है।
जीव तीन प्रकार के दुखों से पीड़ित रहता है। आध्यात्मिक, आधिभौतिक और आधिदैविक दुखों में आध्यात्मिक दुःख व्यक्ति के स्वयं के आचरण व्यवहार के कारण होता है। आधिभौतिक दुःख दूसरे प्राणियों से हमें प्राप्त होता है और आधिदैविक दुःख हमें प्राकृतिक आपदाओं से प्राप्त होता है। इन सभी दुखों से छूटने के लिए जन्म मरण के बंधन से छूटना पड़ेगा। योग और यज्ञ के माध्यम से मोक्ष मार्ग तय किया जा सकता है। ओम प्रकाश आर्य प्रधान आर्य समाज नई बाजार बस्ती ने बताया कि आर्य समाज निरन्तर जन जागरण एवं समाज निर्माण में लगा हुआ है इसके लिए आर्य वीर दल के माध्यम से युवाओं को लिए चरित्र निर्माण शिविर लगाना। यज्ञ के द्वारा गांव, शहर और पार्कों आदि में पर्यावरण शोधन का कार्य कर रहा है और निरन्तर करता रहेगा।
इस अवसर पर नीलम मिश्रा, विश्वनाथ आर्य, हरिहर मुनि, सत्येन्द्र वर्मा, उमेश वर्मा, शिव श्याम, अरविंद साहू, राजेश आर्य, चंद्र प्रकाश पाण्डेय, राजदेव, ब्रह्मानंद पाण्डेय, एडवोकेट, धमेंद्र गुप्ता, अशोक कुमार मिश्रा, जेपी चौबे, महिमा, अनीशा मिश्रा, प्रीति गुप्ता, महक मिश्रा, अपूर्व चतुर्वेदी, राधा देवी , रीता देवी, भागवत बरनवाल, राजेश श्रीवास्तव आजीवन सदस्य भारत स्वाभिमान ट्रस्ट हरिद्वार यूनिट बस्ती, अजय बरनवाल, अलख निरंजन आर्य, ओमकार आर्य, अंश आर्य, आदित्य आर्य, रश्मि आर्य, कंचनलता आर्य, शोभा आर्य, रजनी आर्य, निवेदिता आर्य, राधेश्याम, देवव्रत आर्य, संतोष कुमार, चंद्रप्रकाश चौधरी, राजकुमार सिंह योग अध्यापक करुंध्वज पांडे सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।
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