मंदिर बटुक भैरव नाथ जी में आज होगा महाअभिषेक एवं भण्डारा चरखारी (महोबा)। नगर चरखारी के प्राचीनतम मंदिर श्री बटुक भैरव नाथ जी में आज भैरव अ...
मंदिर बटुक भैरव नाथ जी में आज होगा महाअभिषेक एवं भण्डारा
चरखारी (महोबा)। नगर चरखारी के प्राचीनतम मंदिर श्री बटुक भैरव नाथ जी में आज भैरव अष्टमी पर प्रतिवर्ष की भांति भगवान भैरव नाथ जी का महाभिषेक एवं भण्डारे का आयोजन किया जा रहा है पंचम रुद्रावतार भगवान भैरव नाथ जी के सात्विक स्वरूप भगवान बटुक भैरव नाथ जी का मंदिर नगर में पुरातन काल से ही सभी की श्रद्धा और आस्था का स्थल रहा है, उपरोक्त मंदिर के सजीव और सिद्ध स्थल होने की अनेकों कथाएं आज भी प्रचलन में हैं, कहते हैं जिसने भी इस सिद्ध स्थल पर आकर श्रद्धा भाव के साथ भगवान की साधना की उसकी हर मनोकामनाएं पूर्ण होती है एवं भगवान भैरवनाथ जी के मंदिर पर गलत सोच से ग्रसित होकर भगवान की अवहेलना करने वाले का हर तरह से पतन हो जाता है, भैरव का अर्थ होता है भय का हरण कर सभी का भरण करने वाला,, भय से ग्रसित लोगों को अभय देने वाले भगवान भैरव नाथ जी आराधना, उपासना की दृष्टि से बेहद दयालु और शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता का नाम है भगवान भैरवनाथ, भगवान भैरवनाथ शिव के पंचम रुद्रावतार हैं, धर्म ग्रंथों में भैरव नाथ जी के अनेकों स्वरूपों का वर्णन है जिसमे 2 मुख्य है, प्रथम भगवान का शुद्ध सात्विक स्वरूप भगवान बटुक भैरव दूसरा भगवान के विकराल स्वरूप भगवान श्री महाकाल भैरव, उपरोक्त दोनों भैरव की उपासना ही अधिक प्रचलन में है, भैरव तंत्र, मंत्र के अधिपति देवता है, मंदिर के श्री मंहत जुगुल भारती बताते हैं कि गृहस्थों के लिए भगवान भैरव के सात्विक स्वरूप भगवान बटुक भैरव की उपासना ही श्रेष्ठ एवं मन्य है, मंदिर में भगवान बटुक भैरव के सात्विक स्वरूप को हलवा, खीर, गुलगुले, जलेबी आदि मिष्ठान के प्रसाद को अर्पण कर काले कुत्तों को प्रसाद खिलाना चाहिए, काली उड़द की दाल से बने दही भल्ले, पकोड़े आदि का प्रसाद भी भगवान भैरवनाथ जी को अर्पण कर गरीबों को खिलाना चाहिए,
मंदिर बटुक भैरव नाथ चरखारी के महंत जुगुल भारती ने बताया कि नगर चरखारी में भगवान भैरवनाथ जी के सात्विक, सौम्य स्वरूप मैं स्थापित भगवान बटुक भैरव नाथ जी के मंदिर परिसर में प्रतिवर्ष अगहन कृष्ण अष्टमी जो आज है पर भगवान बटुक भैरवनाथ जी का महाअभिषेक भंडारा एवं भजनों का कार्यक्रम किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में नगर एवं आसपास के क्षेत्रीय श्रद्धालु मंदिर में आकर भगवान के दर्शन करके प्रसाद ग्रहण करते हैं, रियासत कालीन समय में वर्णित नगर चरखारी में लगने वाले 3 मेलों में भगवान बटुक भैरव नाथ जी का मेला भी रहा है जो मंदिर परिसर के चारों ओर 8 दिनों तक लगाया जाता रहा है, स्वतंत्रता के बाद मंदिर परिसर में लगने वाला मेला कतिपय कारणों की वजह से लगना बंद हो गया है, चरखारी के सभी राजा भगवान बटुक भैरव नाथ जी के अनन्य भक्त रहे हैं,रियासत काल में भगवान बटुक भैरव नाथ जी का मंदिर बेहद वैभवशाली मंदिर रहा है. मंदिर बटुक भैरव नाथ में लगभग 80 बीघा कृषि भूमि लगी रही है, जिसे साजिश रचकर हड़प लिया गया है, 23 नवंबर 2024 दिन शनिवार को मंदिर श्री बटुक भैरव नाथ जी में वैदिक विधि विधान के अनुसार होने वाले भगवान भैरव नाथ जी के महाभिषेक एवं भंडारे की तैयारियां लगभग पूरी कर ली गई हैं।
जनपद महोबा बुन्देलखण्ड भगवती प्रसाद सोनी
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