धनतेरस आज, 20 अक्टूबर को प्रदोष काल अमावस्या में दीपावली का पर्व लक्ष्मी पुजा में खासतौर पर मां लक्ष्मी, भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरि के सा...
धनतेरस आज, 20 अक्टूबर को प्रदोष काल अमावस्या में दीपावली का पर्व
लक्ष्मी पुजा में खासतौर पर मां लक्ष्मी, भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरि के साथ गणेश एवं मां सरस्वती की पूजा होती है।
केरेडारी हजारीबाग
हजारीबाग शहर के बाद अब केरेडारी एवं बड़कागांव प्रखंड क्षेत्र में धनतेरस को लेकर तरह - तरह के दूकान सज गए हैं व व्यापरी वर्ग के साथ आम आम जनता में भी उत्साह का माहौल है। आज शनिवार को धनतेरस के अवसर पर लोग खरीदारी करने निकलेंगे। तीन दिवसीय पर्व दिवाली की शुरुआत धनतेरस से ही होती है जिसमें लोग अपने बजट के अनुसार अपनी पसंद की छोटी बड़ी वस्तुओं की खरीदारी करते हैं। शास्त्रों के अनुसार धनतेरस के दिन खरीदारी करना शुभ माना जाता है। धनतेरस पर धनवर्षा पोटली बनाएं-धनतेरस की शाम को धनवर्षा पोटली तैयार करने से घर में धन और सुख-समृद्धि बनी रहती है। यह पोटली मां लक्ष्मी की कृपा और घर में आर्थिक सुरक्षा का प्रतीक मानी जाती है। धनतेरस के दिन भगवान् ध्वनवंतरी समुद्र मंथन के बाद अमृत कलश लेकर निकले थे इसलिए आज के दिन इनकी विशेष पूजा की जाती है। इस दिन शाम में दीप जलाकर घर के दक्षिण दिशा में रखा जाता है जो यमराज को समर्पित होता है इससे घर के किसी भी सदस्य की अकाल मृत्यु नहीं होती है।
20 अक्टूबर को प्रदोष काल में मनाया जायेगा दीपावली का पर्व
काशी से निकलने वाले श्री ह्रषिकेश पंचांग के अनुसार सोमवार को कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि दोपहर 2.55 बजे से शुरू होकर अगले दिन मंगलवार को शाम 4.26 बजे तक ही है। इसलिए 20 अक्टूबर सोमवार को ही प्रदोष काल में अमावस्या तिथि होने के कारण दीपोत्सव का महापर्व दिवाली धूमधाम से मनाया जायेगा व इस दिन धन व ऐश्वर्य की देवी माता लक्ष्मी, विघ्नहर्ता सिद्धि विनायक भगवान् श्री गणेश व भगवान् कार्तिकेय की पूजा भक्ति भाव से की जाती है। पूजन के दौरान माँ लक्ष्मी को बताशा,कमल के फूलों की माला व कमल गट्टा अर्पित की जाती है। इस दिन आम लोगों के साथ साथ व्यवसाई वर्ग के लोग विशेष कर माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं तथा इसी दिन पुराने खाता बही को भी बदलते हैं।
दीपावली पूजन का शुभ मुहूर्त
वैसे तो दीपावली के दिन किसी भी समय माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है लेकिन आगमन हम शुभ मुहूर्त की बात करें तो सोमवार को अमावस्या तिथि का मान प्रदोष काल व सम्पूर्ण रात्रि में व्याप्त है क्यूंकि दीपावली के पूजन का मुख्यकाल प्रदोष काल है! इसके साथ स्वाति नक्षत्र तथा स्थिर लग्न वृष रात्रि 7.12 से 9.08 तक की प्रधानता है। इस वर्ष दिन का स्थिर लग्न कुम्भ दिन 2.36 से शाम 4.07 बजे तक,रात्रि स्थिर लग्न सिंह रात 1.40 से 3.45 तक है। सोमवार को प्रदोष काल में वृष लग्न प्राप्त है। अतः स्थिर लग्न वृष में पूजन करना अति उत्तम है।
ब्यूरो रिपोर्ट हजारीबाग
Ashok Banty Raj - 9835533100
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