कुलपति के निर्देश पर दो दोनों तक चली मैराथन बैठक विभावि में नए पीएचडी नियम 2022 को मंजूरी देने की प्रक्रिया प्रारंभ हजारीबाग झारखंड विनोब...
कुलपति के निर्देश पर दो दोनों तक चली मैराथन बैठक
विभावि में नए पीएचडी नियम 2022 को मंजूरी देने की प्रक्रिया प्रारंभ
हजारीबाग झारखंड
विनोबा भावे विश्वविद्यालय में लंबे समय से लंबित PHD परीनियम को अंतिम रूप देने के कार्य को अंततः प्रारंभ कर दिया गया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर चंद्र भूषण शर्मा की पहल पर पहले चरण में शनिवार और सोमवार को सभी विभागाध्यक्षों के साथ दो दिवसीय मैराथन बैठक का आयोजन किया गया। प्रो शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में यूजीसी द्वारा जारी की गई PHD परीनियम 2022 के आधार पर विनोबा भावे विश्वविद्यालय द्वारा नए पीएचडी नियम 2022 को अंतिम रूप तथा मंजूरी देने पर सहमति बनी। कुलपति के रूप में प्रभार ग्रहण करने के पहले ही दिन से प्रोफेसर चंद्र भूषण शर्मा इस मामले में गंभीर दिखे। उन्होंने हैरानी जताई थी कि पिछले 16 वर्षों से विनोबा भावे विश्वविद्यालय में कोई घोषित PHD परीनियम नहीं है। बैठक की खास बात यह रही कि कुलपति ने एक-एक बिंदु पर विस्तार से विमर्श करवाया। प्रयास किया गया की व्यवहारिकता एवं गुणवत्ता के बीच एक तर्कसंगत संतुलन स्थापित की जाए।
नए नियमों की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
- अब वर्ष में दो बार कोर्स वर्क का आयोजन किया जाएगा
- पूर्व के 1 वर्ष के स्थान पर अब प्रत्येक 6 महीना में प्रगति प्रतिवेदन समर्पित करने पड़ेंगे
शोध निदेशक द्वारा अब 10 परीक्षक के नाम समर्पित किए जाएंगे। इसमें पांच बिहार-झारखंड के विश्वविद्यालयों से होंगे और पांच उसके बाहर के विश्वविद्यालयों से।
नेट उत्तीर्ण अभ्यर्थी कोर्स वर्क में नामांकन के दो महीना बाद ही कर पाएंगे प्री-रजिस्ट्रेशन सेमिनार
छात्रों के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश और मानक निर्धारित
PHD डिग्री प्रदान करने की प्रक्रिया में पारदर्शिता
प्रत्येक रिसर्च स्कॉलर के लिए एक रिसर्च एडवाइजरी कमेटी का गठन करना, जिसमें सुपरवाइजर के अलावा दो बाह्य विशेषज्ञों होंगे।
विश्वविद्यालय ने नए PHD नियम 2022 को मंजूरी देने के तरफ एक महत्वपूर्ण पहल की है। इससे विश्वविद्यालय की शोध गुणवत्ता में सुधार होगा और छात्रों को बेहतर अवसर प्रदान किए जा सकेंगे।
नए नियमों से छात्रों को कई लाभ होंगे:
-PHD कार्यक्रम को समय पर पूरा करने में मदद
डिग्री प्राप्त करने की प्रक्रिया में पारदर्शिता
स्पष्ट दिशा-निर्देश और मानक
विश्वविद्यालय के स्ववित्त पोषित वोकेशनल विभागों में शोध प्रारंभ करने पर निर्णय नहीं लिया जा सका। ज्ञात हो कि इस मामले में पूर्व के विद्वत परिषद की बैठक में एक समिति का गठन किया गया था। समिति को सारे पहलुओं का अध्ययन करके इस मामले पर प्रतिवेदन समर्पित करना था।
ब्यूरो रिपोर्ट हजारीबाग
Ashok Banty Raj - 9835533100
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