*एक बार बेटे और मां में बहस शुरू हो गई। *एक बार बेटे और मां में बहस शुरू हो गई। बेटे ने मां को कहा मां, तू हमेशा यही कहती रहती है, की मां क...

*एक बार बेटे और मां में बहस शुरू हो गई। *एक बार बेटे और मां में बहस शुरू हो गई। बेटे ने मां को कहा मां, तू हमेशा यही कहती रहती है, की मां का कर्ज कभी नहीं उतारा जा सकता है। अब मैं तंग आ गया हूं यह सब सुनकर, आज मैं तेरे अगले पिछले सब कर्ज चुका दूंगा। बता कितना कर्जा है तेरा?*
तुझे क्या चाहिए? रुपया सोना चांदी जेवर?? बता मैं ऐसा क्या दूं जिससे तेरा कर्ज उतर जाए।।
मां ने बेटों को बड़े आराम से कहा, बेटा यह रुपया पैसे सोना चांदी से तो मेरा कर्जा नहीं उतरेगा। अगर तुझे मेरा कर्ज उतारना है तो एक काम कर, आज रात तू मेरे पास, मेरे कमरे में सो जा। अगर तू एक रात के लिए मेरे पास सो जाएगा, तो मैं समझूंगी कि तूने मेरा कर्ज उतार दिया।
बेटे ने सोचा कि सिर्फ एक ही रात की बात है, सो जाता हूं मां के पास, जैसा तय हुआ था उसे दिन बेटा मां के कमरे में ही सो गया।
जैसे ही बेटे की नींद आनी शुरू हुई, मां ने बेटे को जगा दिया और कहा, बेटा प्यास लगी है, एक गिलास पानी पिला दे।
बेटे ने कहा, ठीक है मां अभी मैं लाता हूं।
मां ने थोड़ा पानी पिया और बाकी पानी बेड पर फेंक दिया, जहां बेटा सोया था।बेटे ने कहा-अरे मां यह क्या किया? तूने तो मेरी जगह सारी गीली कर दी, अब मैं कैसे सोऊंगा!
मां ने कहा, बेटा गलती हो गई। कोई बात नहीं सो जा। अभी सूख जाएगा। बस एक रात ही तो सोना है तुझे।
बेटा जैसे तैसे उस गिले बेड पर सो गया। अभी आंख थोड़ा भारी हुई ही थी की मां ने फिर बेटे को जगा दिया और कहा बेटा पानी पिला दे।
अब बेटे को थोड़ा गुस्सा आ गया और उसने मां को कहा, मां अभी तो पानी पिया था इतनी जल्दी प्यास लग गई?
मां ने कहा -बेटा गर्मी बहुत ज्यादा है ना इसलिए प्यास लग जा रही है। एक गिलास पानी और पिला दे।बेटे ने थोड़ा मुंह बनाया और पानी का गिलास लेकर आ गया। मां ने थोड़ा पानी पिया और बाकी पानी फिर बेटे की जगह पर गिरा दिया।
अब बेटे का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। बेटे ने मां को बहुत अपशब्द कहें। बेटे ने कहा मां तू पागल हो गई है क्या? तूने मेरी जगह पर पानी गिरा दिया। बार-बार मेरा बिस्तर क्यों गिला कर रही हो ?? इस बार बेटे ने दर्जनों बातें सुना दी अपनी मां को, लेकिन मां कुछ ना बोली।
मां ने धीमी आवाज में कहा, बूढी हो गई हूं ना बेटा, गलती से गिर गया। कोई बात नहीं एक रात की बात है। तू सो जा, अभी थोड़ी देर में सूख जाएगा।
जैसे तैसे बेटा फिर गले बिस्तर पर लेट गया। काफी देर तक नींद नहीं आई। लेकिन 1 घंटे बाद फिर से बेटे की आंखें नींद से भारी होने लगी और तभी मां ने बेटे को फिर से उठा दिया और कहा बेटा पानी.....मां ने अभी इतना ही कहा था कि बेटा झाला उठा और बोला, भाड़ में जाए तेरा कर्जा, मैं जा रहा हूं अपने कमरे में सोने।
इतना सुनते ही मां ने बेटे की गाल पर एक जोरदार तमाचा मारा और कहा, तू मेरा कर्जा उतारने चला था। तू एक बार मेरे कमरे में सो गया और मैं सिर्फ दो बार तेरा बिस्तर गिला कर दिया। तो तू भाग रहा है यहां से।
मैंने तो तेरा बिस्तर साफ पानी से गिला किया, लेकिन जब तू छोटा था, तो मेरा बिस्तर अपने पेशाब से मल से, गिला करता था और मैं खुद गीले पर लेट जाती थी और तुझे सुख बिस्तर पर लिटाती थी, मैं सारी रात तेरी गंदगी में सोई थी। लेकिन फिर भी मेरा प्यार कभी तेरे लिए कम नहीं हुआ।
मैंने तो सिर्फ दो बार पानी मांगा, तो तुझे इतना गुस्सा आ गया। पर जब जब तू छोटा था तो रात में कभी पानी, तो कभी दूध मांगता था, मैं हर बार मुस्कुरा कर अपने हाथों से तुझे पिलाती थी।जब तू रात को बीमार होता था तो पूरी रात तुझे अपने सीने से लगाकर आंगन में घूमती थी ताकि तू सो जाए।
और आज तू निकला है मां का कर्ज चुकाने। बेटा एक जन्म तो क्या?? मां का कर्ज तू सात जन्मों में भी नहीं उतर सकता।।
बिल्कुल सही है। वाकई में मां का कर्ज कोई नहीं उतर सकता और मां-बाप के महत्व का भी तभी आभास होता है जब कोई खुद मां-बाप बन जाता है।
*मां का कर्ज कभी नहीं उतारा जा सकता है। अब मैं तंग आ गया हूं यह सब सुनकर, आज मैं तेरे अगले पिछले सब कर्ज चुका दूंगा। बता कितना कर्जा है तेरा?*।
तुझे क्या चाहिए? रुपया सोना चांदी जेवर?? बता मैं ऐसा क्या दूं जिससे तेरा कर्ज उतर जाए।।
मां ने बेटों को बड़े आराम से कहा, बेटा यह रुपया पैसे सोना चांदी से तो मेरा कर्जा नहीं उतरेगा। अगर तुझे मेरा कर्ज उतारना है तो एक काम कर, आज रात तू मेरे पास, मेरे कमरे में सो जा। अगर तू एक रात के लिए मेरे पास सो जाएगा, तो मैं समझूंगी कि तूने मेरा कर्ज उतार दिया।
बेटे ने सोचा कि सिर्फ एक ही रात की बात है, सो जाता हूं मां के पास, जैसा तय हुआ था उसे दिन बेटा मां के कमरे में ही सो गया।
जैसे ही बेटे की नींद आनी शुरू हुई, मां ने बेटे को जगा दिया और कहा, बेटा प्यास लगी है, एक गिलास पानी पिला दे।
बेटे ने कहा, ठीक है मां अभी मैं लाता हूं।
मां ने थोड़ा पानी पिया और बाकी पानी बेड पर फेंक दिया, जहां बेटा सोया था।बेटे ने कहा-अरे मां यह क्या किया? तूने तो मेरी जगह सारी गीली कर दी, अब मैं कैसे सोऊंगा!
मां ने कहा, बेटा गलती हो गई। कोई बात नहीं सो जा। अभी सूख जाएगा। बस एक रात ही तो सोना है तुझे।
बेटा जैसे तैसे उस गिले बेड पर सो गया। अभी आंख थोड़ा भारी हुई ही थी की मां ने फिर बेटे को जगा दिया और कहा बेटा पानी पिला दे।
अब बेटे को थोड़ा गुस्सा आ गया और उसने मां को कहा, मां अभी तो पानी पिया था इतनी जल्दी प्यास लग गई?
मां ने कहा -बेटा गर्मी बहुत ज्यादा है ना इसलिए प्यास लग जा रही है। एक गिलास पानी और पिला दे।बेटे ने थोड़ा मुंह बनाया और पानी का गिलास लेकर आ गया। मां ने थोड़ा पानी पिया और बाकी पानी फिर बेटे की जगह पर गिरा दिया।
अब बेटे का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। बेटे ने मां को बहुत अपशब्द कहें। बेटे ने कहा मां तू पागल हो गई है क्या? तूने मेरी जगह पर पानी गिरा दिया। बार-बार मेरा बिस्तर क्यों गिला कर रही हो ?? इस बार बेटे ने दर्जनों बातें सुना दी अपनी मां को, लेकिन मां कुछ ना बोली।
मां ने धीमी आवाज में कहा, बूढी हो गई हूं ना बेटा, गलती से गिर गया। कोई बात नहीं एक रात की बात है। तू सो जा, अभी थोड़ी देर में सूख जाएगा।
जैसे तैसे बेटा फिर गले बिस्तर पर लेट गया। काफी देर तक नींद नहीं आई। लेकिन 1 घंटे बाद फिर से बेटे की आंखें नींद से भारी होने लगी और तभी मां ने बेटे को फिर से उठा दिया और कहा बेटा पानी.....मां ने अभी इतना ही कहा था कि बेटा झाला उठा और बोला, भाड़ में जाए तेरा कर्जा, मैं जा रहा हूं अपने कमरे में सोने।
इतना सुनते ही मां ने बेटे की गाल पर एक जोरदार तमाचा मारा और कहा, तू मेरा कर्जा उतारने चला था। तू एक बार मेरे कमरे में सो गया और मैं सिर्फ दो बार तेरा बिस्तर गिला कर दिया। तो तू भाग रहा है यहां से।
मैंने तो तेरा बिस्तर साफ पानी से गिला किया, लेकिन जब तू छोटा था, तो मेरा बिस्तर अपने पेशाब से मल से, गिला करता था और मैं खुद गीले पर लेट जाती थी और तुझे सुख बिस्तर पर लिटाती थी, मैं सारी रात तेरी गंदगी में सोई थी। लेकिन फिर भी मेरा प्यार कभी तेरे लिए कम नहीं हुआ।
मैंने तो सिर्फ दो बार पानी मांगा, तो तुझे इतना गुस्सा आ गया। पर जब जब तू छोटा था तो रात में कभी पानी, तो कभी दूध मांगता था, मैं हर बार मुस्कुरा कर अपने हाथों से तुझे पिलाती थी।जब तू रात को बीमार होता था तो पूरी रात तुझे अपने सीने से लगाकर आंगन में घूमती थी ताकि तू सो जाए।
और आज तू निकला है मां का कर्ज चुकाने। बेटा एक जन्म तो क्या?? मां का कर्ज तू सात जन्मों में भी नहीं उतर सकता।।
बिल्कुल सही है। वाकई में मां का कर्ज कोई नहीं उतर सकता और मां-बाप के महत्व का भी तभी आभास होता है जब कोई खुद मां-बाप बन जाता है।
report- Vijay Kumar Mishra
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