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महोबा सरस्वती विद्या मन्दिर इंटर कॉलेज मे मकर संक्रांति पर्व पर मनाया गया उत्सवNews

  सरस्वती विद्या मन्दिर इंटर कॉलेज मे मकर संक्रांति पर्व पर मनाया गया उत्सव  महोबा, मुख्यालय, के सरस्वती विद्या मन्दिर इंटर कॉलेज मे मकर संक...


 सरस्वती विद्या मन्दिर इंटर कॉलेज मे मकर संक्रांति पर्व पर मनाया गया उत्सव 

महोबा, मुख्यालय, के सरस्वती विद्या मन्दिर इंटर कॉलेज मे मकर संक्रांति पर्व पर उत्सव मनाया गया। कार्यक्रम का प्रारम्भ माँ सरस्वती की वन्दना से किया गया। वंदना के बाद सभा को सम्बोधित करते हुए विद्यालय के वरिष्ठ आचार्य जयनारायण तिवारी ने मकर संक्रांति के महत्त्व को रेखांकित करते हुए कहा कि पौष मास में सूर्य उत्तरायण होकर मकर राशि में विराजमान होते हैं, तो इस अवसर को देश के विभिन्न प्रांतों में अलग-अलग त्योहार जैसे लोहड़ी, कहीं खिचड़ी, कहीं पोंगल आदि के रूप में मनाते हैं। संगीताचार्य पंडित जगप्रसाद तिवारी ने कहा कि हिंदू धर्म में मकर संक्रांति ऐसा त्योहार है, जिसका धार्मिक के साथ वैज्ञानिक महत्व भी है।
पुराणों में मकर संक्रांति को देवताओं का दिन बताया गया है। मान्यता है कि इस दिन किया गया दान सौ गुना होकर वापस लौटता है। सामाजिक विषय के आचार्य परशुराम प्रजापति ने कहा कि मकर संक्रांति से अच्छे दिनों की शुरुआत हो जाती है, क्योंकि इस दिन मलमास समाप्त होते हैं। इसके बाद से सारे मांगलिक कार्य विवाह, मुंडन, जनेऊ संस्कार आदि शुरू हो जाते हैं। हिंदी प्रवक्ता अरुण कुमार श्री माली ने मकर संक्रांति के धार्मिक महत्त्व को बताते हुए कहा कि मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन स्वर्ग का दरवाजा खुल जाता है। इस दिन पूजा, पाठ, दान, तीर्थ नदी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
प्रधानाचार्य कमलेश सिंह ने कहा कि पौराणिक कथा के अनुसार भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था, लेकिन दक्षिणायन सूर्य होने के कारण बाणों की शैया पर रहकर उत्तरायण सूर्य का इंतजार करके मकर संक्रांति होने पर उत्तरायण में अपनी देह का त्याग किया, ताकि वह जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाएं। मां गंगा मकर संक्रांति वाले दिन पृथ्वी पर प्रकट हुईं। गणित प्रवक्ता आदित्य मिश्र ने बताया कि गंगा जल से ही राजा भागीरथ के 60,000 पुत्रों को मोक्ष मिला था। इसके बाद गंगा जी कपिल मुनि के आश्रम के बाहर सागर में जाकर मिल गईं। कार्यालय प्रमुख राजाबाबू ने कहा कि सूर्य के उत्तरायण हो जाने से प्रकृति में बदलाव शुरू हो जाता है। ठंड की वजह से सिकुड़ते लोगों को सूर्य के तेज प्रकाश के कारण शीत ऋतु से राहत मिलना आरंभ होता है। हिंदी प्रवक्ता सौरभ त्रिवेदी ने कहा कि मकर संक्रांति पर ठंड तेज होती है, ऐसे में शरीर को गर्मी पहुंचाने वाली खाद्य साम्रगी खाई जाती है। यही वजह है कि मकर संक्रांति पर तिल, गुड़, खिचड़ी खाते हैं, ताकि शरीर में गर्माहट बनी रहे। इसके अलावा आचार्य गौरव सोनी, मनोज शुक्ला, अनिल त्रिवेदी, आदि ने विचार व्यक्त किए इस अवसर पर समस्त विद्यालय परिवार उपस्थित रहा

जनपद महोबा बुन्देलखण्ड भगवती प्रसाद सोनी

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