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गाजीपुर मोहर्रम के पर्व पर दिखी गाजीपुर में गंगा जमुनी तहजीब

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 मुस्लिम धर्म में रमजान के बाद दूसरा सबसे पवित्र माह मोहर्रम का होता है। मोहर्रम माह से ही इस्लामिक कैलेंडर का आगाज होता है। यह इस्लामिक कैलेंडर वर्ष का पहला महीना है। मुहर्रम का 10वां दिन या 10वीं तारीख यौम-ए-आशूरा के नाम से जानी जाती है। यह दिन मातम का होता है। इस दिन मुस्लिम समुदाय मातम मनाता है। इसी के तहत गाजीपुर के गोराबाजार स्थित अगला और पिछड़ा अखाड़ा से ताजिया उठती और पीरनगर, खजुरिया, बड़ी बाग चुंगी से पुनः वापस गोराबाजार पुलिस चौकी के पास जंजीर लगा कर दफन किया जाता है। इस बीच तमाम पारंपरिक खेल होते है नवाहाखानी होती है। इस दौरान हाजी मोहम्मद तौफीक हसन अगला अखाड़ा के खलीफा ने बताया कि हमारे यहां गंगा जमुनी तहजीब की मिशाल पेश होती है। इस पारंपरिक त्यौहार पर हिंदू मुस्लिम एक साथ नजर आते है। यहां ये पहचानना मुश्किल होता है कि कौन हिंदू है कौन मुसलमान। सभी लोग एक दूसरे के पर्व पर सहयोग की भावना और भाईचारे का प्रतीक नजर आता है। वहीं मौके पर मौजूद समाजसेवी विवेक सिंह शम्मी ने कहा कि पूरे प्रदेश में गाजीपुर गंगा जमुनी तहजीब का उदाहरण पेश करता है। हमारे यहां चाहे हिंदू का त्यौहार है या मुसलमान के त्यौहार हो हम एक दूसरे का सहयोग प्रदान करते है। इसी उद्देश्य के साथ हम लोग यहां पर मौजूदा है।





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