हास्य योग के साथ मनाया ओशो का 93वां जन्मोत्सव ओशो ने ध्यान को बताया मन की सबसे बड़ी दवा-स्वामी अंतर्यात्री महोबा। बीसवीं सदी के सबसे क्रां...
हास्य योग के साथ मनाया ओशो का 93वां जन्मोत्सवओशो ने ध्यान को बताया मन की सबसे बड़ी दवा-स्वामी अंतर्यात्री
महोबा। बीसवीं सदी के सबसे क्रांतिकारी संत ओशो का 93वां जन्मोत्सव आज गोरखगिरि पर्वत के ऊपर हास्य योग के साथ मनाया गया। कड़ाके की ठंड के बीच दो हजार फीट की ऊंचाई पर सूर्योदय होते ही अनुयायियों व प्रशंसकों ने सबसे पहले ओशो का बहुचर्चित सक्रिय ध्यान किया। कार्यक्रम का संचालन कर रहे ओशो संन्यासी स्वामी अंतर्यात्री ने बताया कि ओशो ने ध्यान को मन की सबसे बड़ी दवा की संज्ञा दी एवं दुनिया को ध्यान की 112 विधियों का तोहफा दिया लेकिन हम इस बेशकीमती तोहफे का लाभ नहीं ले पा रहे।
ओशो के जीवन, कृतित्व और आध्यात्मिक क्षेत्र में उनके अविस्मरणीय योगदान पर प्रकाश डालते हुए स्वामी अंतर्यात्री ने कहा कि ओशो का जन्म 1931 में मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के कुचवाड़ा में बाबूलाल व सरस्वती जैन के घर हुआ। वे तैरापंथी दिगंबर जैन थे। सागर विश्वविद्यालय से दर्शन शास्त्र में परास्नातक डिग्री लेने के बाद वे जबलपुर विश्वविद्यालय में प्रवक्ता हो गये। उसके बाद उनकी क्रांतिकारी आध्यात्मिक यात्रा शुरू हुई जो आज पूरी दुनिया में ज्ञान और ध्यान योग का प्रचार प्रसार कर रही है। उनकी ध्यान विधियों में नृत्य व संगीत का अदभुत समावेश है। इसी वजह से पश्चिमी देशों में लोग सबसे ज्यादा आकर्षित हुए। भारत में लोग उनकी ध्यान विधियों से अभी कम परिचित हैं। जो प्रबुद्ध वर्ग पहले उनका विरोध करता था, अब चाव से उनके प्रवचन सुनता है।
इस मौके पर अवधेश गुप्ता, गया प्रसाद कोस्टा, डा. देवेन्द्र पुरवार, मनीष जैदका, अशोक बाजपेई, सिद्धे, प्रेम, अजय, जागेश्वर, महेंद्र चौरसिया, रवि, अमित, नीरज पुरवार, महेंद्र सोनी, दिलीप जैन, गौरव शर्मा व मोनू गुप्ता समेत लोग मौजूद रहे।
जनपद महोबा बुन्देलखण्ड भगवती प्रसाद सोनी
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