लोक आस्था भक्ति भाव से चैती छठ व्रतियों ने दी डूबते सुर्य को अर्ध्य , केरेडारी के बारियातु में शांतिपूर्ण चैती छठ पूजा के डुबते भगवान सूर...
लोक आस्था भक्ति भाव से चैती छठ व्रतियों ने दी डूबते सुर्य को अर्ध्य,
केरेडारी के बारियातु में शांतिपूर्ण चैती छठ पूजा के डुबते भगवान सूर्य को अर्ध्य दिया गया।
केरेडारी प्रखंड के बारियातु गांव के धेबो तरी नदी छठघाट सहीत कंडाबेर बडा तालाब, पांडेपुर केरेडारी सहित प्रखंड के विभिन्न पंचायत के छठ घाटों में हर्षोल्लास के साथ भक्तिभाव से चैती छठ महापर्व के छठव्रतियों द्वारा जलाशयों में खड़े होकर अस्ताचलगामी भगवान भास्कर की निरोगी काया सुख समृद्धि ,संतान प्राप्ति आदि सर्व मनोरथ की प्रार्थना करते हुए मंगलकामाना करते हुए प्रतीक्षा किए तत्पश्चात निर्धारित समय में अस्ताचलगामी सूर्य को भक्तिभाव से अर्ध्य दिए।
सप्तमी को उषाकालीन उदयीमान सुर्य को अर्ध्य के साथ व्रत पुर्ण हो जाएगा। वही 36 घंटे के निर्जला व्रत के बाद छठी मैया की पूजा में व्रती साफ मन से कुलदेवता और छठी मैया की पूजा करते हैं। उन्हें गुड़ से बनी खीर, ठेकुआ, और प्रसाद चढ़ाया जाता है। छठ पर्व साल में दो बार मनाया जाता है। एक कार्तिक माह में तो दूसरा चैत्र माह में मनाया जाता है। यह पर्व भगवान सूर्य और छठी मैया को समर्पित है।
छठी मैया को किस नाम से जानें जाते हैं। और छठी मैया से जुड़ी मान्यताएं जानें।
छठी मैया को हिंदू धर्म में शक्ति और सृष्टि की देवी माना जाता है. मान्यता है कि वे सूर्य देवता की बहन हैं, जो संतान, स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं. उनके प्रति भक्तों की भक्ति और श्रद्धा इस पर्व को और भी महत्वपूर्ण बनाती है। यह पर्व भगवान सूर्य और छठी मैया को समर्पित है. इस पर्व में भगवान सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है और छठी मैय्या की पूजा की जाती है. चैती छठ पूजा की उतनी ही मान्यताएं है, जितना कि कर्तिक महिने के छठ पूजा की होती है. चैत्र महीने की छठ पूजा भी उतनी ही धूमधाम से मनाई जाती है, जितना की कार्तिक माह की छठ पूजा मनाई जाती है।
छठ पूजा से जुड़ी कुछ और बातें:
छठ वर्त में बारियातु गुरगुटिया मिला कर 6 घर में चैती छठ पूजा किया गया। जिसमे अजीत साव, दसरथ ठाकुर, उमेश साव, सहित 3 और तीन छठ वर्ती पूरे शांतिपूर्ण अर्घ्य दिया। मौके पर गांव के सैकड़ो ग्रामीण श्रद्धालु चैती छठी मईया की
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