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महाकुंभ में विश्व कल्याण के लिए हुआ 23वां सहस्रचंडी यज्ञNews

* महाकुंभ में विश्व कल्याण के लिए हुआ 23वां सहस्रचंडी यज्ञ, 111 आचार्यों ने किए दुर्गा सप्तशती के 1001 पाठ * महाकुंभ 2025 में झूंसी के हवेलि...




*महाकुंभ में विश्व कल्याण के लिए हुआ 23वां सहस्रचंडी यज्ञ, 111 आचार्यों ने किए दुर्गा सप्तशती के 1001 पाठ*

महाकुंभ 2025 में झूंसी के हवेलियां में सहस्त्र चंडी यज्ञ का आयोजन किया गया. 111 आचार्यों ने दुर्गा सप्तशती के 1001 पाठ किए. झूंसी के संगम किनारे स्थित तपोवन में 18 जनवरी से आयोजित इस सहस्र चंडी पाठ के बाद दुर्गा सप्तशती के 1 पाठ से हवन कराया गया. हवन के बाद हजारों भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया.
 हवन में देशभर से आए गणमान्य व्यक्तियों व श्रद्धालुओं ने आहुति डाली. इसके बाद भंडारे में 10 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया.
दुर्गा सप्तशती के 1 पाठ से हुआ हवन 
ज्योतिषाचार्य एचके शुक्ला के नेतृत्व में 111 आचार्यों ने रविवार काे दुर्गा सप्तशती के 1000 पाठ होने के बाद हवन करवाया. हवन सप्तशती के 13 अध्यायों से विधिवत कराया गया. हवन में सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने आहुति डाली.विशेष रूप से तैयार की गई हवन सामग्री से वहां के वातावरण भक्तिमय और भावमय रहा. श्रद्धालुओं ने हवन करने और प्रसाद ग्रहण करने के बाद गुरुजी एचके शुक्ला का अशीर्वाद लिया.
23 सालों से हो रहा सहस्र चंडी महायज्ञ 
ज्योतिषाचार्य एचके शुक्ला ने बताया कि भारत को विश्वगुरु बनाने और देश की तरक्की के लिए मां गंगा के पावन तट पर पिछले 23 सालों से लगातार मकर संक्रांति के अवसर पर सहस्र चंडी महायज्ञ का आयोजन किया जाता है. इस बार 14 जनवरी को महाकुंभ का पहला अमृत स्नान होने के कारण यह तिथि बदलनी पड़ी.
अमृत स्नान के 2 दिन पहले और 2 दिन बाद महाकुंभ क्षेत्र को नो ट्रैफिक जोन घोषित किया गया था. लिहाजा इस बार सहस्र चंडी यज्ञ 18 जनवरी को आयोजित किया गया.19 जनवरी को हवन पूजन के साथ इसका समापन हुआ. 
आचार्य हरिकृष्ण शुक्ला ने बताया कि मां भगवती की कृपा से भोग और मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है. यही कारण है कि पिछले 23 सालों से मां भगवती की शरण में हैं. उनकी कृपा मेरे साथ ही साथ भक्तों पर भी होती है.
जिस तरह से आसुरी शक्तियां सनातन धर्म के खिलाफ लगातार कुचक्र कर रही हैं मां भगवती की आराधना और सहस्त्र चंडी यज्ञ ही उनसे सनातन धर्म की रक्षा करेगा. यह काम हमारे ऋषि मुनि करते रहे हैं, यही कारण है कि आसुरी शक्तियां उनकी यज्ञ में विघ्न डालने की कोशिश करती थी. आज भी इस तरह के यज्ञ करने में बहुत सारे व्यवधान आते हैं , लेकिन भगवती की कृपा से 23 सालों से विश्व कल्याण और देश की तरक्की के लिए यह यज्ञ कराया जा रहा है संवाददाता 

*विजय कुमार मिश्रा प्रयागराज* 


 

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