** गया जिले के हदसा घाट पर बालू माफियाओं का कब्जा: प्रशासनिक लापरवाही से ओवरलोडिंग जारी** गया जिले के नीमचक बथानी अनुमंडल के हदसा घाट पर ...
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गया जिले के हदसा घाट पर बालू माफियाओं का कब्जा: प्रशासनिक लापरवाही से ओवरलोडिंग जारी** गया जिले के नीमचक बथानी अनुमंडल के हदसा घाट पर बालू के अवैध खनन और ओवरलोडिंग का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। प्रशासनिक दावों के बावजूद यहां बालू माफियाओं का वर्चस्व कायम है, और कानून की अनदेखी करते हुए भारी वाहन लगातार बालू की ढुलाई कर रहे हैं। पुल निर्माण विभाग ने इस घाट पर 5 टन भार क्षमता का बोर्ड लगा रखा है, लेकिन इसे पूरी तरह नजरअंदाज कर प्रतिदिन ओवरलोड हाईवा ट्रकों का आवागमन हो रहा है।
### **प्रशासन की अनदेखी और जिम्मेदारी से बचने का खेल**
स्थानीय नागरिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस गंभीर समस्या को लेकर अनुमंडल पदाधिकारी (एसडीओ) और अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी (एसडीपीओ) से कई बार शिकायत की है, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। जब इस मुद्दे पर एसडीपीओ(nimchak bathani) से बात की गई, तो उन्होंने मामले को नवादा जिले का बताते हुए खनन विभाग से संपर्क करने की सलाह दी।
### **सीमा क्षेत्र के नाम पर टालमटोल**
हदसा घाट का नाम भले ही नवादा जिले के हदसा गांव के आधार पर पड़ा हो, लेकिन यह घाट गया जिले की सीमा में आता है। सीमा क्षेत्र के नाम पर जिम्मेदारी तय न होने की वजह से यहां बालू माफियाओं का मनोबल बढ़ा हुआ है। प्रतिदिन दर्जनों ओवरलोड ट्रक इस घाट से बालू की ढुलाई कर रहे हैं, जिससे न केवल खनन विभाग के मानकों का उल्लंघन हो रहा है, बल्कि सरकारी राजस्व को भी भारी नुकसान पहुंच रहा है।
### **ओवरलोडिंग से पुलिया पर खतरा**
हदसा घाट पर बने पुल से भारी वाहन गुजारने का सीधा असर इसकी संरचना पर पड़ रहा है। विशेषज्ञों और स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिया की भार सहने की क्षमता ओवरलोडिंग के कारण खत्म हो सकती है, जिससे यह कभी भी ध्वस्त हो सकती है। अगर ऐसा हुआ, तो इसका सीधा प्रभाव सीमा क्षेत्र के लोगों पर पड़ेगा, जिन्हें इस पुल के सहारे आवागमन करना पड़ता है।
खनन पदाधिकारी ने क्या कहा ___
इस संबंध में माइनिंग अधिकारी ने कहा कि उनका विभाग सिर्फ टेंडर देता है। सूचना के बाद यदि पूरी क्षतिग्रस्त होने की बात आती है तो संबंधित विभाग से बात करते हुए मामले को देखा जाएगा।
### **बालू माफियाओं और प्रशासन के बीच साठगांठ का शक**
स्थानीय नागरिकों का मानना है कि बालू माफियाओं और प्रशासन के बीच साठगांठ के कारण यह अवैध कारोबार इतनी आसानी से फल-फूल रहा है। लोगों का सवाल है कि जब सब कुछ प्रशासन की नजरों के सामने हो रहा है, तो कार्रवाई क्यों नहीं हो रही?
### **स्थानीय लोगों की मांग और बढ़ती चिंता**
क्षेत्रीय जनता ने इस गंभीर समस्या पर जल्द से जल्द कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि अगर प्रशासन ने समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया, तो न केवल पुलिया ध्वस्त हो जाएगी, बल्कि अवैध खनन के कारण पर्यावरण और स्थानीय परिवहन व्यवस्था को भी भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।
### **प्रशासन को ठोस कदम उठाने की जरूरत**
यह मामला केवल अवैध खनन का नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही का भी प्रतीक बन गया है। खनन विभाग, पुलिस प्रशासन और पुल निर्माण विभाग को सामूहिक रूप से इस समस्या का समाधान करना होगा। अवैध बालू खनन पर रोक लगाने और ओवरलोडिंग बंद कराने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है।
अगर जल्द ही इस पर कार्रवाई नहीं की गई, तो यह न केवल क्षेत्रीय विकास में बाधा बनेगा, बल्कि एक बड़े हादसे का कारण भी बन सकता है। स्थानीय लोगों की आशा है कि प्रशासन जल्द हरकत में आएगा और इस समस्या का स्थायी समाधान करेगा।
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vedraj
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