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शादी में वैदिक रस्मों को पूर्ण करना कहा जाता विवाह- रेखा राणा News

  शादी में वैदिक रस्मों को पूर्ण करना कहा जाता विवाह- रेखा राणा  हाथरस। क्या नाचने गाने को विवाह कहते हैं, क्या दारू पीकर हुल्लड़ मचाने को वि...


 शादी में वैदिक रस्मों को पूर्ण करना कहा जाता विवाह- रेखा राणा 

हाथरस। क्या नाचने गाने को विवाह कहते हैं, क्या दारू पीकर हुल्लड़ मचाने को विवाह कहते हैं? क्या रिश्तेदारों और दोस्तों को इकट्ठा करके दारू की पार्टी करने को विवाह कहते हैं? डीजे बजाने को विवाह कहते हैं ? नाचते हुए लोगों पर पैसा लूटने को विवाह कहते हैं, दारू की 15-20 पेटी लग जाए उसको विवाह कहते हैं नही विवाह उसे कहते हैं जो बेदी के ऊपर मंडप के नीचे पंडित जी मंत्रोचारण के साथ देवताओं का आवाहन करके विवाह की वैदिक रस्मों को करने को ही तो विवाह कहते हैं। यह कथन रेखा राणा राष्ट्रीय अध्यक्ष आदर्श महिला एव बाल कल्याण संस्था ने कहा कि कि लोग कहते हैं कि हम 8 महीने से विवाह की तैयारी कर रहे हैं और पंडित जी जब सुपारी या पान मांगते हैं तो कहते हैं अरे वह तो भूल गए, जो  सबसे जरूरी काम था वह आप भूल गए विवाह की सामग्री भूल गए और वैसे तुम 10 महीने से विवाह की कौन सी तैयारी कर रहे थें।आज आप दिखावा करना चाहते हो तो खूब करो मगर जो असली काम है जिसे सही मायने में विवाह कहते हैं उस काम पर गौर करें। 3 घंटे नाचने में लगा देंगे, 4 घंटे में मेहमानों से मिलने में लगा देंगे, 3 घंटे जयमाला में लगा देंगे, 4 घंटे फोटो खींचने में लगा देंगे और पंडित जी के सामने आते ही कहेंगे पंडित जी जल्दी करो जल्दी करो, पंडित जी भी बेचारे क्या करें वह भी कहते हैं सब स्वाहा-स्वाहा जब तुम खुद ही बर्बाद होना चाहते हो तो पूरी रात जागना पंडित जी के लिए जरूरी है क्या? उन्हें भी अपना कोई दूसरा काम ढूंढना है। उन्हें भी अपनी जीविका चलानी है, मतलब असली काम के लिए आपके पास समय नहीं है। मेरा कहना यह है कि आप अपने सभी नाते रिश्तेदार दोस्त भाई बन्धुओं को कहो कि आप जो यह फेरों का काम है वह किसी मंदिर, गौशाला, आश्रम या धार्मिक स्थल पर किसी पवित्र स्थान पर ही करें। जहां दारू पी गई हो जहां हड्डियां फेंकी गई हो क्या उस मैरिज हाउस उस पैलेस कंपलेक्स में देवता आशीर्वाद देने के लिए आएंगे, आपको नाचना कूदना खाना पीना जो भी करना है वह विवाह वाले दिन से पहले या बाद में करें। मगर विवाह का कोई एक मुहूर्त का दिन निश्चित करके उस दिन सिर्फ और सिर्फ विवाह से संबंधित रीति-रिवाज  होने चाहिए और यह शुभ कार्य किसी पवित्र स्थान पर करें जिसमें गुरु जन आयें, घर के बड़े बुजुर्गों का उसमें आशीर्वाद मिले। आप खुद विचार करिये हमारे घर में कोई मांगलिक कार्य है जिसमें सब आए और आप अपने भगवान को ही भूल जाएं अपने कुल देवताओं को ही भूल जाएं।  कि विवाह नामकरण या अन्य जो भी धार्मिक उत्सव हैं वह पवित्रता के साथ संपन्न हो उनमें उन विषय वस्तुओं का सहयोग न करें जो धार्मिक कार्यों में निषेध है!

 संवाददाता 

           विकास चौहान

 

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